सूर्यदेव के सारथी अरुण के दो पुत्र हुए सम्पाती और जटायु दोनों महाबलशाली पक्षी एक बार आपस में प्रतिस्पर्धा करते हुए आसमान में ऊंचा उड़ने लगे उड़ते उड़ते जटायु सूर्यदेव के समीप पहुंच गया। और सूर्यदेव की गर्मी से उसके पंख जलने लगे सम्पाती ने जब अपने भाई को इस प्रकार जलते हुए देखा तो उसने जटायु को अपने पंखो से ढक दिया।
इस प्रकार सम्पाती के पंख जल गए और उसने अपने उड़ने की क्षमता खो दी जब वानर सेना सीता माता को खोजती हुई भटक रही थी, तो उनकी भेंट सम्पाती से हुई सम्पाती ने जब रावण के हाथो जटायु की मृत्यु की बात सुनी तो उसे बहुत दुःख हुआ और उसने सीता जी की ढूंढने में वानर सेना की सहायता की