ब्रह्माजी ने अपने मनोरंजन के लिए एक सरोवर बनाया और ऋक्षराज को उसकी देखरेख का काम दिया। एक दिन ऋक्षराज उस सरोवर में स्नान करने लिए चले गए। जब वो सरोवर से बहार निकले तो एक अतयंत रूपवती स्त्री बन गए। उसी समय इंद्रदेव ने स्त्री रूप में ऋक्षराज को देखा और उन पर मोहित हो गए। इंद्रदेव से ऋक्षराज को जो पुत्र हुआ उसका नाम बाली था।

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थोड़ी देर बाद सूर्यदेव उधर से निकले और वो भी ऋक्षराज के सुन्दर रूप पर मोहित हो गए। ऋक्षराज को सूर्यदेव से जो पुत्र प्राप्त हुआ वो सुग्रीव थे। एक मान्यता के अनुसार बाली और सुग्रीव की माता सूर्यदेव के सारथि अरुण का स्त्री रूप अरुणी है।

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